न्याय परिक्रमा न्यूज़ सहारनपुर
सहारनपुर । रजनीश कुमार मिश्र (अपर जिलाधिकारी वि०/रा०) सहारनपुरने बताया कि बाढ़ का समय निश्चित होता है जो वर्षा ऋतु में होता है। माह जुलाई से सितम्बर के बीच बाढ़ समय रहता है। बाढ प्रबन्धन की उचित तैयारी करके हम बाढ के खतरे कम कर सकते है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा दिशा निर्देश जारी किये गये है।
बाढ़ के दौरान क्या करें तथा क्या न करें (बाढ़ से पूर्व)
1-अपने परिवार व गाँव के लिए एक आपदा प्रबन्ध योजना बनाएं। समय-समय पर इसका पूर्वाभ्यास भी करें।
2-बारिश के समय / मौसम में रेडियो या टी०वी० से प्रसारित सूचना व चेतावनी सुनें और उनका अनुपालन करें।
3-अफवाहों पर ध्यान न दें और घबराएं नहीं।
4-अपना आपदा सहायता किट तैयार रखें।
5-आवश्यक सामग्री एवं मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दें।
6-नाव की मरम्मत करवा लें।
7- पशुओं के लिए चारा / भूसा आदि एकत्रित कर लें।
(बाढ़ के बाद) :
1-उबला पानी पियें।
2-भोजन ढक कर रखें।
3-बच्चों को भोजन आदि खिलाएं।
4-राहत पैकेट वितरण में प्रशासन का सहयोग करें। पानी की गहराई में मत जाएं। सांपों से दूर रहें।
5-ब्लीचिंग पाउडर से आसपास की जगह साफ रखें।
6- सांपों से बचकर रहें।
7-अगर घर खाली करना हो। तो अपना आपदा सहायता किट अवश्य साथ ले जायें। 8-घर खाली करने से पूर्व कीमती वस्तुएं व जरूरी कागज को प्लास्टिक की थैली में लपेटकर ऊँचे स्थान पर रखें।
9-नंगे पाँव बाहर न निकलें, बच्चों को नंगे पाँव न निकलने दें।
10-घर खाली करते समय लैटरिन में बालू से भरी बोरियां डाल दें। और किसी भी प्रकार
के छेद या नाली को बन्द कर दें।
11-यदि पानी की गहराई पता न हो तो उसे पार करने की कोशिश न करें। यदि पार करना आवश्यक हो तो एक डण्डा साथ रखें। जिससे गहराई की जानकारी हो सके। 12-बच्चों को बाढ़ के पानी से मत खेलने दें।
स्थानीय संसाधनों से बाढ़ के दौरान खोज-बचाव का कार्य यदि हम अपने आसपास की मामूली वस्तुओं पर ध्यान दें तो पायेंगे कि बहुत सारी चीजें हमारे किसी न किसी उपयोग की हो सकती हैं। बस हम थोड़ा सोच-विचार कर उन्हें संशोधित कर उन्हें संशोधित कर
लें या जोड़ लें तो उनका उपयोग उनके कार्यों में किया जा सकता है। खोज व बचाव कार्य में काम आ सकने वाली बहुत सी वस्तुएं हमारे घर में ही होती हैं, पर उनका प्रयोग अलग-अलग तरीकों से करने में हम प्रशिक्षित नहीं होते। इसी कारण हम बच सकने वाली दुर्घटनाओं में भी घायल हो जाते हैं या भाग नहीं पाते।
1-गाड़ियों के एक-दो पुराने टायर-ट्यूब मरम्मत कराकर घर में रखें रहे ताकि बाढ़ के समय पानी से सुरक्षित बाहर निकला सकता चार ट्यबों को आपस में बांधकर नाव का प्रयोग किया जा सकता है। जा
2-बाढ के पानी में जाना हो तो लाठी से पानी की गहराई का अंदाजा लगाकर आगे बढ़ें तथा कीड़े-मकोड़ों से भी सुरक्षा होगी।
3-धोतियों को आपस में जोड़कर उमेठकर रस्सी का काम लिया जा सकता है।
4-पुराने कम्बल के दो किनारों को आपस में सिलकर पाइप की तहर बना लें फिर इसे पाइप के अन्दर दो डण्डे डालकर दोनों डाण्डों को बाहर की ओर खींचे जिससे पाइप एकदम पतला हो जाए। अब डण्डों को किनारें-किनारें पर बाँध लें। यह फोल्डिंग स्ट्रेचर तैयार हो गया है। 5-पानी या कोल्ड ड्रिंक की बड़ी (2 लीटर वाली) बोतलों को ढक्कन से बन्द कर दें और टेप से उसे सील कर दें फिर किसी शर्ट में पीठ की ओर चार बोतलों को कसकर बांध दें। ये लाइफ जैकेट की तरह काम में ली जा सकती हैं।
ब्यूरों रिपोर्टः मोनू कुमार/कुमार योगेश (सहारनपुर)
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