न्याय परिक्रमा न्यूज़ सहारनपुर
भारत मे 25 ह्रदय प्रत्यारोपण के मरीजो में से केवल एक में ही ह्रदय प्रत्यारोपण हो पाता है क्योंकि डोनर नही मिलते है और अन्य सुविधाओं की भी कमी है,ह्रदय प्रत्यारोपण के बाद 80% मरीज 1 साल और 50% मरीज 10 साल तक जीवित रह पाते हैं जिसमे 65 लाख से 1 करोड़ रुपये तक खर्चा आ सकता है।भारत मे अभी तक लगभग 350 ह्रदय प्रत्यारोपण सफल हुए है जबकि अमेरिका में 2200 ह्रदय प्रत्यारोपण प्रतिवर्ष होते है।कृत्रिम ह्रदय प्रत्यारोपण भी एक संभावना है, अमेरिका में अब तक लगभग
1700 कृत्रिम ह्रदय प्रत्यारोपण हो चुके है तो वहीँ भारत मे अभी तक केवल 25 मरीजो में ही कृत्रिम ह्रदय लगाए गए है।
ये सब जानकारी अपोलो अस्पताल दिल्ली के कार्डियोलॉजीस्ट डॉ राजीव राजपूत ने आईएमए भवन में आयोजित सेमिनार में चिक्तिसको को बताई।
कार्यक्रम का उद्घाटन शहर के मेयर डॉ अजय सिंह और आईएमए अध्यक्ष डॉ कलीम अहमद,सेमिनार के चेयरपर्सन डॉ रजनीश दाहूजा और डॉ अंशुल जैन ने संयुक्त रूप से किया।
दिल्ली से आये डॉ राजीव राजपूत ने अपने व्यख्यान में आगे बताया की मिड रेंज इजेक्शन फ्रैक्शन हार्ट फेलियर एक नए प्रकार का ह्रदयघात है जो अब तेज़ी से बढ़ रहा है ।इसमें सास फूलना,नाड़ी तेज़ चलना,थकान आदि लक्षण होते है।जिसमे बिएनपी की जांच जरूरी है जिसके बाद इको और एंजियोग्राफी की जांच करना होता है।
ब्लड प्रेशर,डायबिटीज या ह्रदय की संरचना में बदलाव ह्रदय रोग को जन्म देने के बड़े कारण है जिससे ह्रदय के हार्मोन्स में गड़बड़ी हो जाती है इसी आधार पर दवाओं से इलाज किया जा सकता है।यदि ईजेक्शन फ्रैक्शन 35% से कम है तो ज्यादा मोर्टेलिटी संभव हैं
पहले इसमें बिटा ब्लॉकर,एमआर ऐंटागोनिस्ट,ऐस इंहिबिटर की ट्रिपल थेरेपी काम करती थी ।
लेकिन आजकल इसमें अर्नि(ARNI) ज्यादा बेहतर है और इससे मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाते है और अस्पताल से जल्दी छुट्टी होती है,और इसके साइड इफेक्ट भी कम है।
इसके अतिरिक्त आयरन की कमी से ह्रदयघात अधिक होते है इसके लिए फेरिटीन लेवल की जांच जरूरी हैं।एम्पग्लीफ़्लॉज़ीन और वेरिसिगुआत जैसे नई दवाए भी अब भारत मे उपलब्ध है जो काफी कारगर है।
कर्यक्रम में डॉ सौम्य जैन,डॉ प्रवीण शर्मा,डॉ संजीव मित्तल,डॉ सुदर्शन नागपाल,डॉ नरेश नौसरान, डॉ जयपाल चंद,डॉ राजकुमार शर्मा,डॉ संजीव मिगलानी,डॉ विकास अग्रवाल, डॉ रविकान्त निरंकारी ,डॉ रिक्की चौधरी, संजय यादव,डॉ आर एन बंसल,डॉ मनदीप सिंह,डॉ खलीउल्लाखान, डॉ राहुल सिंह,डॉ महेश ग्रोवर,डॉ स्वर्णजीत सिंह,डॉ ड़ी के गुप्ता, डॉ रामकुमार चावला ,डॉ अनिल भल्ला,केके मक्कड़,डॉ आर एस पंवार,आदि उपस्थित रहे।
ब्यूरों रिपोर्टः मोनू कुमार/कुमार योगेश (सहारनपुर)
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