सहारनपुर। कथा व्यास धीर शान्त अर्द्धमौनी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने रूकमणि से विवाह करके विशुद्ध प्रेम का सन्देश संसार को दिया। जीवात्मा और परमात्मा का प्रत्यक्ष स्वरूप रूकमणि कृष्ण मिलन है। उन्होंने कहा कि भावनामृत में रहकर भगवान श्रीकृष्ण का भजन करने से प्रेम प्राप्त होता है।
धीर शांत अर्द्धमौनी आज यहां प्राचीन सिद्धपीठ श्री गौदेवी मन्दिर गौशाला, नुमाइश कैम्प में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के छठे दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि तपस्या से पुण्य प्राप्त होता है। प्रेम पुण्य का फल नहीं है, प्रत्युत कृपा का फल है। स्त्री, पुत्र, धन, संपत्ति, वैभव आदि पुण्य का फल है। स्वामी मंगला नंद महाराज ने कहा कि भगवान का भजन, भगवान की कृपा से, सन्तों के संग से मिलता है। भगवान् मेरे हैं, मैं भगवान का हूं, केवल इतना मानने की जरूरत है। भगवान् के बिना रहा न जाय, तो तत्काल कल्याण होता है। आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमल किशोर ने कहा कि धर्म की जय होती है, अधर्म की नही। सत्य की जय होती है, असत्य की नही। क्षमा की जय होती है, क्रोध की नही। इसलिए सभी को विशेषतः ब्राह्मण और वैष्णव को क्षमाशील रहना चाहिये। सच्चे सन्त विश्व के आधार हैं, आराध्य हैं, विश्व रूप हैं, विश्व के रक्षक हैं। उनके द्वारा स्वभाव से ही ऐसी क्रियाएँ होती हैं, जिनसे विश्व और धर्म की रक्षा होती रहती है। इतने पर भी वे विश्व से सदा परे होते हैं। यजमान कैप्टन सतीश शर्मा, मेजर विजेंद्र सिंह, श्याम सेतिया ने व्यास पीठ का सम्मान पूजन अर्चन तिलक करके किया। विजयककांत चौहान व स्वामी मंगल नंद महाराज ने अतिथियों का माला पहनाकर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। कथा में निशा जैन, आशा सब्बरवाल, ममता चानना, सुनीता, आशा चौहान, वंदना चुघ, संजय नागपाल, राजू नागपाल, विवेक प्रताप, वरुण प्रताप, सागर दीपक आदि मौजूद रहे।
ब्यूरों रिपोर्टः (मोनू कुमार) सहारनपुर
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