न्याय परिक्रमा, चंडीगढ़, ब्यूरो चीफ अच्छेलाल,
कारखाना मजदूर यूनियन और पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) की ओर से रोष मार्च निकाला गया। नारों, तख्तियों और पोस्टरों के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया गया कि मानवाधिकार क्या हैं और आज भारत में उनका उल्लंघन कैसे हो रहा है। मार्च में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यूनियन की मोदी सरकार और राज्य सरकारें लगातार लोगों के जनवादी अधिकारों पर हमले कर रही हैं और पूंजीपतियों को अधिक मुनाफा कमाने और बेख़ौफ़ होकर लूटने का रास्ता बना रही हैं जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले दिनों पुराने श्रम कानूनों में संशोधन कर चार नए श्रम संहिताओं को लाया गया, जो मजदूरों के बुनियादी श्रम अधिकारों पर बड़ी कटौती करने का एक हथकंडा हैं। इसी प्रकार, पिछले दिनों अंग्रेज़ी हुकूमत के समय से चले आ रहे आपराधिक कानूनों में संशोधन के नाम पर नए आपराधिक कानून लागू किए गए हैं। हालाँकि पहले के कानून भी अपने चरित्र में घोर जन-विरोधी थे, नए कानून पहले के कानूनों की तुलना में अधिक दमनकारी और जन-विरोधी हैं जो लोगों के विरोध करने और अपनी जायज़ मांगों के लिए आवाज़ उठाने के जनवादी अधिकारों को किसी तरह से कुचलने का एक जरिया हैं। पिछले कानूनों के शिकार कई राजनीतिक कार्यकर्ता पक्षपाती कानूनों के अनुसार भी अपनी सजाएं पूरी करने के बावजूद भी जेलों में सड़ रहे हैं। इसलिए मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सभी इंसाफ़पसंद लोगों, मज़दूरों और कामगारों को इन दमनकारी कानूनों का विरोध करना चाहिए और अपने जायज़ अधिकारों के लिए आवाज़ उठानी चाहिए।
अंत में निम्नलिखित नारों के साथ मार्च का समापन किया गया:-
सज़ा पूरी कर चुके राजनीतिक और सिख कैदियों को रिहा करो!
नए आपराधिक कानून वापस लो!
मज़दूर विरोधी नए श्रम कानूनों को वापस लो!
जनवादी अधिकारों पर हमले करना बंद करो!
नौजवान भारत सभा से हर्ष, कारखाना मज़दूर यूनियन से मानव और पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) से मनिका द्वारा संबोधन किया गया।
ब्यूरों रिपोर्टः अच्छेलाल (चंडीगढ)
हमारे यूट्यूब चैनल न्याय परिक्रमा न्यूज पर देखिए पूरा विडियो