चंडीगढ़, (अच्छेलाल), पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सुभाष चन्द्र नागपाल, पंजाब के पूर्व चीफ सेक्रेटरी रविन्द्र संधू ,पंजाब के दो मौजूदा आईएएस ऑफिसर व गोवा के एक मौजूदा आईएएस अफसर की हाउसिंग सोसायटी भू माफिया का हुई शिकार
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सुभाष चंद्र नागपाल ने सिंहपुरा – भुडा कोऑपरेटिव जॉइंट फार्मिंग सोसायटी के पूर्व मेम्बर भू माफिया के सरगना आलमजीत सिंह मान द्वारा की जा रही घोर अनियमिताओं की सीबीआई जांच की मांग की।उन्होंने बताया कि खुद को ईडी आफिसर बता कर लोगों को ठगने के आरोपी आलमजीत सिंह मान के कहने पर जीरकपुर पुलिस द्वारा बिना जांच के जमीन में हिस्सेदारी को लेकर मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने इस मामले में जहां एफआरआई लिखते हुए कानूनी सलाह नहीं ली गई। वहीं मामला दर्ज करने से पहले जिस जमीन की हिस्सेदारी के लिए आरोपी ने मामला दर्ज करवाया , पुलिस ने उस जमीन के मालिकों से पूछताछ तक नहीं की। जब मामले में जमीन के मालिकाना हक रखने वाली सिंहपुरा भुडा कोओपरेटिव ज्युवाइंट फार्मिंग सोसायटी ने आपत्ति जताई तो आनन फानन में पुलिस ने शिकायतकर्ता को मामले में राजीनामा करने के लिए तैयार कर लिया ।
क्या है मामला
ऐडवोकेट एससी नगपाल, पूर्व सीनियर आईएएस आफिसर रविंदर सिंह संधू एवम अन्य ने वर्ष 1989 में सिंहपुरा भुडा कोओपरेटिव ज्युवाइंट फार्मिंग सोसायटी को रजिस्टर किया था और इस सोसायटी ने जीरकपूर लगभग 30 एकड़ जमीन खरीदी थी। वर्ष 2016 में सोसायटी के 30 सदस्य में से 13 ने अपना शेयर लेकर आगे एक प्राइवेट बिल्डर को भेजी दी। जिसमें आलमजीत सिंह मान ने भी अपना हिस्सा सोसायटी से लेकर बिल्डर को बेच दिया था। इसके करीब आठ साल बाद जब सोसायटी 2019 में एक बिल्डर को कुछ हिस्सा बेचा। जिसके बाद बिल्डर सुनिल बंसल एवं अन्य ने इस जमीन का सीएलयू करवा कर प्रोजेक्ट शुरू कर दिया। इसके बाद 30 मई 2024 को आलमजीत ने सोसायटी से खरीदने वाले बिल्डर के सुनिल बंसल और अन्य के खिलाफ गलत सीएलयू करवाने व जमीन में उसका हिस्सा हड़पने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि पुलिस ने इस में आलमजीत की शिकायत पर बिना जांच किए सुनिल बंसल और अन्य पर मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। हालांकि इसके बाद अदालत ने उन्हें जमानत पर छोड़ दिया। मामले को तूल पकड़ता देख जब सोसायटी ने आलमजीत के द्वारा दिए गए सभी दस्तावेज बंसल व अन्य पार्टी को सौंपे । जिसमें आलमजीत ने इस जमीन में कोई भी हिस्सेदारी न होनें का हलफनामा दिया है। जब यह दस्तावेज बंसल पार्टी ने पुलिस को दिखाए तो पुलिस ने अपनी छवि को बचाने के चक्कर में शिकायतकर्ता आलमजीत को इस मामले में आउट ऑफ कोर्ट राजीनामा करने के लिए तैयार करवा लिया। परंतु इस पूरे मामले में पुलिस इस बात को भूल गई कि अदालत में केस स्टेट वर्सस बंसल एंड पार्टी है। जिसके चलते बंसल व आलमजीत सिंह मान के राजीनामा का कोई महत्व नहीं रह जाता। इसके बारे में सोसायटी के सचिव सीनियर ऐडवोकेट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट एससी नागपाल ने बताया कि जीरकपुर में भू मफिया का दबदबा इतना अधिक है कि एक तहसीलदार, नायब व पटवारी कोर्ट आर्डर , दावा खारिज एवमं स्टे वकेट को सरकारी रिकार्ड में नहीं चढ़ा रहे। सोसायटी की जमीन पर कोई भी स्टे नहीं है । इसके बावजूद केवल आलमजीत के कहने पर सरकारी रिकार्ड को कायम कर रहे है। उन्होंने आगे कहा कि आलमजीत सिंह मान पहले जरूर सोसायटी का सदस्य रहा है, परंतु 2008 में अपना हिस्सा में आधा हिस्सा पूर्व विधायक गुरकीरत सिंह कोटली की पत्नी गुरप्रीत कौर को दे दिया।
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